बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने विश्वास और अंधविश्वास को लेकर जारी विवाद के बीच तीखा कमेंट किया है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा है कि भारत में चादर चढ़ाना और मोमबत्ती जलाना तो आस्था है, लेकिन मनोकामना का नारियल बांधना अंधविश्वास है! पता नहीं लोग ऐसे दोहरे मापदंड क्यों अपनाते हैं?
बात तो सही है! चुनौती अकेले धीरेंद्र शास्त्री क्यों स्वीकार करे? केवल हिंदुत्व को प्रामाणिकता की आवश्यकता क्यों? इसी बात को वीडियो में धीरेंद्र शास्त्री के एक अनुयायी ने अपने अनोखे ढंग से बताया है।
चैनल को सब्सक्राइब कीजिए और वीडियो को लाइक। आने वाले पेशकश की जानकारी के लिए बेल आइकन दबाएं।
इधर धीरेंद्र शास्त्री ने एक साक्षात्कार में कहा कि ईसाई मिशनरियां धर्मांतरण के लिए करोड़ों रुपये ख़र्च करती हैं। उन्होंने दमोह में 160 परिवारों की घरवापसी कराई और आदिवासियों के क्षेत्रों में दरबार लगा रहे हैं। इसलिए मिशनरियां उनके विरुद्ध षड़यंत्र कर रही हैं।
बागेश्वर पीठाधीश्वर ने कहा कि वे कोई तपस्वी नहीं हैं, लेकिन उनका पूरा बचपन तपस्या में बीता है। “बचपन से ही हनुमान चालीसा का पाठ किया, गुरुजी ने जो बताया उसे अनुभव किया। हनुमान जी के चरणों में बैठकर रोए, उसका ही परिणाम है कि आज सनातन धर्म का झंडा हर जगह गाड़ा जा रहा है। मिशनरियों के मुंह पर तमाचा पड़ा है।”
महाराज ने कहा कि मीडिया को मैनेज करके कोई भी लोकप्रिय हो सकता है, लेकिन उसके भीतर सच्चाई नहीं होगी तो ख्याति टिकेगी नहीं। “हमारे बारे में क्या-क्या दिखाया गया… सफाई देते-देते हमारी आँखें भर आईं!”
अपनी चमत्कारी शक्तियों के बारे में पूछे जाने पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उनकी ताकत ध्यान विधि है जो उनके गुरु से उन्हें मिली थी। महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में ध्यान विधि की परंपरा आदिकाल से विद्यमान है। भक्त के समीप आते ही उन्हें उसकी समस्या का आभास हो जाता है और वे उसे पृष्ठ पर लिख लेते हैं। राम नाम की शक्ति से वह सत्य प्रमाणित होता है।
I very delighted to find this internet site on bing, just what I was searching for as well saved to fav