नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्मृति मंदिर परिसर में आयोजित ध्वजारोहण समारोह के अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए पूर्व सरकार्यवाह (महासचिव) भैयाजी जोशी ने कहा कि लोगों के विचारों और कार्यों से यह प्रतिबिंबित होना चाहिए कि वे सच्चे अर्थ में भारतीय और हिंदू हैं। “जब तक ऐसा नहीं होता, हमारी पहचान ख़तरे में रहेगी।” कृत्य द्वारा भारतीयता व हिन्दुत्व कैसे स्थापित हो, यह समझाने के लिए जोशी ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास आनंदमठ, शिकागो में स्वामी विवेकानद के भाषण, बाल गंगाधर तिलक के स्वराज्य के संकल्प और मोहनदास करमचंद गांधी के स्वतंत्रता संग्राम में जनता की भागीदारी जैसी घटनाओं का स्मरण किया।
भारतीयता एवं हिन्दुत्व को परस्पर पर्यायवाची बताते हुए संगठन के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के स्मारक के निकट बने मंच से जोशी ने संघ के ध्वजारोहण समारोह के अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत कभी भी आधुनिकीकरण के विरुद्ध नहीं था परंतु साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इससे हमारी संस्कृति का पश्चिमीकरण न हो। जोशी ने इस बात पर बल दिया कि स्वयं के जीवनमूल्य और अपनी जीवन शैली के कारण भारत की एक अलग पहचान है और यही पहचान आजकल ख़तरे में नज़र आ रही है।
जोशी के अनुसार इसके प्रतिरोध में लोगों को यह अनुभव करने और इस तरह से कार्य करने की आवश्यकता है कि वे सच्चे अर्थ में भारतीय और हिंदू प्रमाणित हों।
संघ की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य जोशी ने कहा कि भारत कई क्षेत्रों में प्रगति कर चुका है और अग्रणी है और लोगों को चिकित्सा के लिए विदेश जाने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि यहाँ सबसे अच्छी शिक्षा दी जाती है। हमारी रक्षा सेनाएं सशक्त हैं और देश में इसरो जैसे प्रमुख संस्थान हैं।