कालाष्टमी का हिंदू पंथ में बड़ा महत्त्व है क्योंकि यह दिन शिव-स्वरूप भगवान् कालभैरव की पूजा के लिए समर्पित है। श्रद्धालु इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं और भगवान् का आशीर्वाद लेने के लिए कालभैरव मंदिर जाते हैं।
कालाष्टमी के दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते हैं और वे कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए इस पवित्र दिन पर व्रत भी रखते हैं। भगवान् कालभैरव भगवान् शिव का उग्र स्वरूप हैं। जो श्रद्धालु पूर्ण समर्पण और शुद्ध इरादों के साथ उनकी पूजा करते हैं वे हमेशा हर बुरी ऊर्जा से सुरक्षित रहते हैं।
इस माह कालाष्टमी माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है। परसों अर्थात् 2 फरवरी 2024 को कालाष्टमी का व्रत रखा जाने वाला है।
कालाष्टमी — महात्म्य
भगवान् कालभैरव की पूजा करने का परामर्श उन लोगों को भी दी जाती है जो किसी काले जादू, बुरी नज़र के प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हैं। इन दोषों के निवारण हेतु उन्हें कालभैरव की पूजा करनी चाहिए और भगवान् से सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
भगवान् कालभैरव को काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे सभी बुरे तत्वों का निवारण करने वाला माना जाता है। कालभैरव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा अवश्य करनी चाहिए।
कालाष्टमी 2024 — तिथि और समय
अष्टमी तिथि आरंभ — 2 फरवरी 2024 – 04:02 अपराह्न
अष्टमी तिथि समाप्ति — 3 फरवरी 2024 – संध्या 05:20 बजे
2 फरवरी 2024 का अनुष्ठान
भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले जल्दी उठें और स्नान करें। उन्हें भगवान् की पूजा करने से पहले पूजा कक्ष को साफ करना चाहिए। फिर एक लकड़ी का तख्ता लें और उसमें भगवान् कालभैरव की मूर्ति या फोटो रखें। सरसों के तेल का दीया जलाएं और कालभैरव अष्टकम् का पाठ करें। भक्त किसी भी तामसिक गतिविधि में शामिल हुए बिना व्रत रखने का संकल्प लेते हैं।
कई श्रद्धालु भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए काल भैरव मंदिर जाते हैं और मीठा रोट को भोग प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। मंदिर में सरसों के तेल के साथ पांच मुख वाला दीया जलाना चाहिए और काल भैरव आरती का जाप करना चाहिए। संध्या को भक्त अपना व्रत तोड़ सकते हैं। इस दिन दान करना विशेषकर विकलांगों के लिए पुण्यकारी माना जाता है।