भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक अशोक बाजपाई (Ashok Bajpai) ने मंगलवार को एक ऐसे क़ानून की मांग की जो लेखन, पेंटिंग या किसी भी दृश्य माध्यम के माध्यम से हिंदू देवताओं के प्रति अनादर को रोक सके। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बोलते हुए उत्तर प्रदेश से सांसद बाजपाई ने कहा कि हिंदुओं को सहिष्णु माना जाता है, लेकिन कुछ लोग आपत्तिजनक साहित्य या पेंटिंग प्रकाशित करके उनके देवी-देवताओं का अपमान करके उनकी सहिष्णुता के प्रति अनादर दिखाते हैं।
BJP सांसद ने सरकार से ‘ईशनिंदा क़ानून’ (देवताओं के अपमान को रोकने के लिए क़ानून) लाने का आग्रह करते हुए कहा कि हिंदू समुदाय द्वारा दिखाई गई सहिष्णुता को एक “कमज़ोरी” के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उनकी आस्था और देवी-देवताओं के बारे में आपत्तिजनक बयान देने, साहित्य प्रकाशित करने और चित्र बनाने में संकोच नहीं करते हैं।
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BJP सांसद ने कहा कि 100 से अधिक देशों में आस्था का अपमान करने वालों के लिए ईशनिंदा क़ानून है।
बाजपाई एक छात्र के रूप में राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल हुए और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। वे जयप्रकाश नारायण आंदोलन में सक्रिय भागीदार थे। जून 1975 में आपातकाल (भारत) के विरोध के दौरान वे जेल गए और 19 महीने तक राजनैतिक क़ैदी के रूप में जेल में रहे। जेल से रिहा होने के बाद वे जनता पार्टी में शामिल हो गए और उत्तर प्रदेश में इसके यूथ लीग के राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किए गए।
बाजपाई भारतीय राजनीति में 40 साल से सक्रिय हैं। वे उत्तर प्रदेश के ज़िला हरदोई के पिहानी निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में छह बार चुने गए जबकि 30 वर्षों में उसी निर्वाचन क्षेत्र में तीन बार हारे। वे उत्तर प्रदेश के विधान परिषद के सदस्य (MLC) भी थे।