भगवान् राम को मंदिर में विराजमान करने के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन ही क्यों चुना गया, अयोध्या-संबन्धित अन्य विषयों के साथ-साथ यह प्रश्न भी उठ रहा है। क्या इसलिए कि शासक वर्ग को इसका राजनैतिक लाभ मिलेगा? आलोचकों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय थियरी यही है हालांकि देश में लोकतन्त्र का इतिहास बताता है कि चुनावों में वादों से जितना लाभ होता है, वादे पूरा करने पर उतना लाभ नहीं मिलता। अतः ठोस कारण कुछ और होगा और उस कारण की तरफ़ ज्योतिष शास्त्र संकेत करता है।
इस दिन राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकेंड का अत्यंत शुभ मुहूर्त रहेगा। लेकिन ऐसे मुहूर्त तो आगे भी आते रहेंगे! फिर इस शुभ कार्य के लिए 22 जनवरी 2024 की तिथि को ही क्यों चुना गया?
अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन हेतु फिर न आता ऐसा समय
अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को किया जा रहा है और श्रीराम की मूर्ति स्थापित करने के 84 सेकंड वाले शुभ समय का आरंभ 12:29 मिनट एवं 8 सेकंड होगा और अंत 12:30 मिनट 32 सेकंड पर। राम लल्ला की स्थापना के बाद महापूजा और महाआरती होगी।
पंचांग के अनुसार 22 जनवरी को पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। नक्षत्र मृगशिरा व योग ब्रह्म प्रातः 8:47 तक है, तत्पश्चात इन्द्र योग लगेगा।
ज्योतिष मत यह है कि इस 22 जनवरी को कर्म द्वादशी है जो भगवान् विष्णु को समर्पित है। इस दिन विष्णु ने कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर सहारा दिया था जिससे समुद्र मंथन संभव हुआ। श्रीराम विष्णु के ही अवतार हैं। इसलिए इस दिन को राम मंदिर के उद्घाटन के लिए बेहद शुभ माना गया और इसी दिन को अयोध्या के मंदिर के उदघाटन के लिए चुना गया। लेकिन कारण यहीं समाप्त नहीं होते।
इस तिथि को तीन अन्य शुभ योग बन रहे हैं — सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग। इन तीन योगों के मिलन से कार्य का सम्पन्न होना सुनिश्चित हो जाता है क्योंकि ये योग प्रत्येक बाधा को काट देते हैं। इस वर्ष मंदिर का सम्पूर्ण निर्माण जब तक समाप्त होगा, चार-चार शुभ योगों वाली तिथि नहीं मिलेगी। चूँकि अयोध्या में राम मंदिर की पुनर्स्थापना का हिन्दू समुदाय का सपना लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद साकार हो रहा है, विशेषज्ञों ने यह परामर्श दिया कि 22 जनवरी 2024 की तिथि कार्य के लिए सर्वोत्तम है।
स्वधर्म को उपरिलिखित जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सूत्रों से प्राप्त हुई।